
📍 उज्जैन, मध्य प्रदेश:
पत्रकारिता जगत में उस समय एक अभूतपूर्व ऊर्जा और प्रतिबद्धता का संचार हुआ, जब मध्य प्रदेश प्रेस क्लब के ओजस्वी अध्यक्ष और पत्रकारों के प्रेरणास्रोत डॉ. नवीन आनंद जोशी का सम्मान उज्जैन के स्थानीय पत्रकारों ने पूरे आदर और उत्साह के साथ किया। क्षिप्रा नदी के तट पर बसी, त्याग और तपस्या की इस भूमि पर यह समारोह, पत्रकारिता के मूल्यों और संघर्षों को समर्पित एक 'शपथ ग्रहण' जैसा बन गया।
पत्रकारिता के 'संकटकाल' में 'एकजुटता' का शंखनाद
पूरे देश में पत्रकारों के विरुद्ध बढ़ते शोषण, अन्याय और दमनकारी प्रयासों के बीच, यह आयोजन न केवल डॉ. जोशी का सम्मान था, बल्कि उज्जैन के पत्रकार समुदाय का एक मौन संकल्प भी था। उपस्थित सभी पत्रकार साथियों ने एक स्वर में यह घोषणा की कि पत्रकारिता के अधिकारों की रक्षा के लिए वे सदैव एकजुट होकर खड़े रहेंगे। यह समारोह, सत्ता और व्यवस्था के दबाव के सामने न झुकने की निर्भीक घोषणा थी।
डॉ. जोशी ने पत्रकारों के उत्साह से भरे इस वातावरण में अपना प्रेरक उद्बोधन दिया। उनके शब्द सिर्फ संबोधन नहीं थे, वे हर पत्रकार के भीतर साहस की लौ जलाने वाले मंत्र थे।
> "पत्रकार की कलम सिर्फ शब्द नहीं लिखती, वह समाज के अधिकारों की रक्षा की 'प्रहरी' भी है। जब कभी सत्ता या व्यवस्था अन्याय के पक्ष में झुके, तब पत्रकार का साहस ही सच की लौ को जलाए रखता है," डॉ. जोशी ने गरजते हुए कहा।
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⚔️ कलम की धार, ज़रूरत पड़ने पर 'तलवार' की धार
डॉ. जोशी ने पत्रकारों को अपने कर्तव्य की याद दिलाते हुए एक महान आह्वान किया। उन्होंने स्पष्ट संदेश दिया कि पत्रकार को हमेशा सत्य और न्याय के पथ पर चलना चाहिए।
> “कलम की धार जितनी पैनी होगी, संघर्ष की राह उतनी ही उज्ज्वल बनेगी; पर आवश्यकता पड़े तो पत्रकार समाज 'तलवार' की तरह तेज होकर भी खड़ा हो — क्योंकि सच की रक्षा के लिए दोनों ही आवश्यक हैं।”
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यह वक्तव्य आज के उस दौर में अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है, जब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगातार हमले हो रहे हैं। डॉ. जोशी ने पत्रकारों को याद दिलाया कि उनकी ज़िम्मेदारी केवल खबरें छापने तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्हें लोकतंत्र के अंतिम प्रहरी के रूप में खड़ा रहना है।
उज्जैन के पत्रकारों ने लिया ‘संघर्ष का वचन’
स्थानीय पत्रकारों ने इस अवसर पर मध्य प्रदेश प्रेस क्लब और पत्रकार बिरादरी के प्रति अपनी अटूट आस्था व्यक्त की। उन्होंने डॉ. जोशी को यह भरोसा दिलाया कि वे हर परिस्थिति में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहेंगे। उनका उद्देश्य स्पष्ट है: सत्य, स्वतंत्रता और जनतंत्र की आवाज़ को किसी भी कीमत पर कमजोर नहीं होने दिया जाएगा।
कवि हृदय डॉ. जोशी ने अपने उद्बोधन का समापन कुछ ओजस्वी पंक्तियों से किया, जो पत्रकारिता के संघर्ष और जुनून को दर्शाती हैं:
> #हमने कलम को दिया है जुनून का उजाला,
> अन्याय की दीवारों पर लिखा है हर दर्द का लफ़्ज़ निराला।
> जहाँ हक़ की पुकार दबाने की कोशिश होगी,
> वहाँ हम आवाज़ बनकर उठ खड़े होंगे बार–बार;
> हम पत्रकार हैं, सच के सिपाही —
> कलम से भी लड़ेंगे, और ज़रूरत पड़ी तो हक़ की लड़ाई तलवार-सी धार।
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यह समारोह उज्जैन की पत्रकारिता के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ गया, जहाँ सम्मान सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि सत्य और साहस के उस सिद्धांत का हुआ, जिसके दम पर पत्रकारिता जीवित है।